Monika garg

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लेखनी प्रतियोगिता -08-Nov-2023#मायके की इज्जत

आज मन बेचैन था।बार-बार आज मनु की याद आ रही थी। मनु मेरी बचपन की सहेली।एक कस्बे मे हम रहते थे।मनु बचपन से ही पढाई में होशियार थी।क्या काम था जो मनु को नही आता था।मै तो हमेशा उस के जैसा बनने की कोशिश करती थी पर मनु तो मनु थी हमारी दबंग मनु।हर एक को पटखनी देने मे माहिर।एक बार मै और मनु स्कूल जा रहे थे।इतने मे सामने से दो लड़के हम को छेड़ने के मूड मे हमारी ओर बढ़े मैने मनु का हाथ खींचा  और उसे दूसरी ओर चलने को कहा पर मनु तो मनु थी ।उसने कहा,"तुम यही ठहरो मै अभी आयी।"और चल पड़ी उन लड़को को सबक सिखाने ।"ओय!तेरे घर मे माँ  बहन है या गिरवी रख आया ।साला दम है तो एक बार तू हाथ  लगा कर दिखा बेटे अगर फट्टे  नही चक दिये तो मनु नाम नही मेरा।" मैं तो उस के मुँह की तरफ देखती रह गयी।और वो लड़के सरपट वहाँ से नौ दो ग्यारह हो गये।मै तो हमेशा मनु की छत्रछाया में ही रही।  मनु की माँ को उस का इस कदर लड़को  से उलझना  अच्छा नही लगता।हर समय डांटती रहती थी, "अरे कलमुंही ऐसे सब से उलझती फिरे गी तो बदनाम हो जाये गी कोई बियाहने  नही आयें गा।"मनु भी लापरवाही से जवाब देती,"वो समय भी देखा जायेगा  माँ ।"  वो जब साथ होती तो एक सुरक्षित घेरा मुझे अपने चारों ओर  महसूस  होता। पता नही क्या  था उस में जो काम सीखने की चाह  मन मे ठान लेती उसे सीख कर छोड़ती ।मनु बड़ी  हो रही थी।माँ  को चिन्ता सताने लगी। कैसे इस हठीली  के हाथ पीले करूँ गी।ये तो किसी की सुनती ही नही है।पहले समय मे  लड़कियों के हाथ जल्दी  पीले  कर देते थे ।सो मनु के लिए भी लड़के की तलाश होने लगी।मेरे सामने ही दो तीन लड़को  को जो रिश्ते के लिए आये थे उसने झाड़  दिया था।मैंने जब उस से पूछा कि तुम ने ऐसा क्यो किया  तो बोली, "साले अपना मर्दपना झाड़ रहे थे।मैने भी सुना दी।"मनु की माँ ने अपना माथा पीट लिया,"हाय!इस लडकी का मैं क्या करूँ ।"एक दिन मनु की माँ उसे लेकर अपने भाई के  यहाँ चली गई ।मनु मामा जी की बातें मान लेती थी।जब वापिस लौट कर आयी तो उस की सगाई हो चुकी थी दोनों हाथों में चूड़ियाँ , शगुन की मेहंदी ।कुछ बदली बदली सी लगी वो।मैंने उसकी माँ से पूछा,"आंटी इसे क्या  हुआ है जब से सगाई हुई है तब से कुछ अजीब सी हो गयी है ।"उस की माँ  हंस कर बात टाल जाती कहती,"बेटी लड़कियाँ तो चुपचाप ही अच्छी लगती है।"मनु की शादी का दिन  भी नजदीक आ गया।चारों तरफ  शादी की गहमा-गहमी थी। कोई कुछ ला रहा था,कोई हलवाईयो के पास खाने का जायजा ले रहा था।मेरी ड्यूटी मनु के पास थी आखिर खास सहेली जो थी ।उसके साज श्रृंगार के सामान  को सम्भालने से लेकर उसके खाने पीने तक का ख्याल मुझे रखना था।।शादी की सारी रस्मे  शुरू हो चुकी थी । हल्दी हाथ ,तेल चढाना ,गौर पूजना सब मे मैं बढचढ कर हिस्सा ले रही थी।इस बीच कभी मनु की चाची,कभी मामी आकर उसे ससुराल में कैसे रहना है ,कैसे बर्ताव करना है।यह समझा कर जा रही थी।मनु की विदाई का समय भी आ गया।माँ  के गले लग कर वह बहुत रोयी ।अजीब सा लग रहा था मनु का बर्ताव ।माँ ने समझाया, "देख बेटी मायके में तुम जैसे भी रहती थी कोई बात नही पर ससुराल में हमारी इज्जत रखना ।कोई ऐसा काम मत करना जिससे तुम्हारे  माँ बाप की इज्जत को बट्टा लगे।"मनु आखों में पानी भर कर सिर हिलाती हुई गाड़ी में  बैठ गयी ।ससुराल पहुंचते ही सास के ताने ने उस का स्वागत किया ।"बडी आयी महारानी जो उसे गर्मी लगती है बाप से कहती ऐ सी भेज देता।"मनु को बहुत गुस्सा आया  पर माँ ने कहा था "मायके की इज्जत रखना "सोई कड़वा घूंट पी कर रह गई ।धीरे-धीरे दिन बीतने  लगे।ससुराल में मनु के साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता था।मनु को बहुत बार गुस्सा आता पर माँ की सीख  याद आ जाती ।धीरे-धीरे दबंग मनु कही गुम हो गयी ।शादी के बाद जब मनु मायके आई तो बहुत  डरी हुई सी रहती थी।ससुराल जाते समय भी बहुत रोती।समय बीतने के साथ ही मनु माँ बनने वाली थी।जब भी मायके आती बुझी बुझी सी रहती।मनु को आठवां महीना चल रहा था।उस की माँ बच्चे के जन्म की तैयारियों में लगी थी।एक दिन अचानक मनु की ससुराल से फोन आया कि मनु नही रही ।उस का बच्चा पेट में ही मर गया था जहर फैलने के कारण मनु को भी नही बचाया जा सका।माँ दहाडे मार कर रोने लगीथी।पता चला उसके पति ने पेट  पर लात मारी थी जिससे बच्चे  और माँ की मौत हो गयी।अब माँ के रोने से कुछ नही होने वाला था कयोंकि उनकी बेटी ने"मायके की इज्जत "के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिये।.......

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1 Comments

Gunjan Kamal

13-Nov-2023 09:24 PM

👌👏

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